दिल्ली, जून 11, 2016: आज कल कैराना में हिंदुओं के साथ हो रही त्रासदी की चर्चा ज़ोरों से चल रही है| कई समीक्षक कैराना में एक और कश्मीर के कयास लगा रहे हैं|
पर इससे बड़ी ग़लती कोई और नहीं हो सकती| पहले आइए जानते हैं की कैराना में हुआ क्या है:
10 जून को एक हिंदू स्त्री को जबरन उठा कर सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके बड़े उसे बेदर्दी से मार डाला गया|
250 हिंदू परिवार पहले ही पलायन कर कर चुके हैं|
2 हिंदू, शंकर और राजू, को दिनदहाड़े गोली मार दी गयी क्यूंकी उन्होने हफ़्ता नहीं दिया|
माहौल यहाँ का तब बिगड़ा जब सरकार ने मुज़्ज़फरनगर दंगे के विस्थापितों को यहाँ जगह दी गयी, ये बात तो खुद ज़ी न्यूज़ की तफ़तीश में सामने आई है|
पेट्रोल पंप को लूटा गया और जब पोलीस ने उनको रोकने की कोशिश की तो बदमाशों ने पोलीस पर ही हमला कर दिया|
2011 में जहाँ यहाँ 30% हिंदू थे, वहाँ यहाँ अब केवल 8% ही हिंदू परिवार रह गये हैं, जो दहशत के मारे कुछ बोल भी नहीं सकते हैं|
पर तब भी कैराना कभी भी कश्मीर नहीं बन सकता चाहे कोई कुछ भी कर ले क्यूंकी हिंदू यहाँ अभी भी बहुसंख्यक हैं| कोई भी खबर अब सोशियल मीडीया की तेज़ नज़रों से बची नहीं है और अगर कैराना का मसला इस बड़े तरीके से उपर उठा भी है, तो भी इसमें सोशियल मीडिया का ही सबसे बड़ा हाथ है|
उत्तर प्रदेश कोई कश्मीर नहीं है और वहाँ कोई कभी भी जा आ सकता है, कोई भी सरकार बहुत समय तक हिंदू हितों की अनदेखी करने की स्तिथि में नहीं है|
कश्मीर में जो हुआ उसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है| बलात्कार, नृशंस हत्या, जबरन धर्म परिवर्तन, ज़बरदस्ती गायों का कत्ल करके हिंदुओं को चिढ़ाना और हिंदुओं को धक्का देकर कश्मीर की घाटी से भगाना कैराना में संभव नहीं है, बल्कि इस खबर के उठने का सबसे बड़ा नुकसान उनको ही होगा जो इस गुमान में थे की एक बार फिरसे कश्मीर को दोहराया जाएगा| वो शायद ये भूल गये की 1990 के भारत और उसके निवासियों और 2016 के भारत और भारत के निवासियों में में एक मूलभूत अंतर है; 2016 के हिंदू को सोशियल मीडीया के बारे में पता है और वो अब मुखर होकर अपने हितों के संरक्षण के लिए बोलेगा| कैराना कभी कश्मीर नहीं बनेगा, ना ही कभी बन सकता था| क्यूंकी भारतीय इसको बनने ही नहीं देंगे|