आदर्श हाउसिंग सोसाइटी पर जनरल वी के सिंह का लेख

आदर्श हाउसिंग घोटाला, महाराष्ट्र, जनरल वी के सिंह, भारत, घोटाला, भ्रष्टाचार

मुंबई में अगर टैक्सीवाले से आप कोलाबा चलने के लिए कहें तो वह आपको पर्यटन की दृष्टि से एक इमारत अवश्य दिखायेगा। यह इमारत जनसाधारण में “आदर्श” बिल्डिंग के नाम से कुप्रसिद्ध है।
कहने के लिए तो आदर्श हाउसिंग सोसाइटी करगिल में शहीद हुए जवानों के लिए बनी थी, परन्तु अन्ततः वह इमारत इस तथ्य का स्मारक बन गयी कि भ्रष्टाचार रुपी अजगर किस प्रकार उन्हें भी निगल लेता है जो देश के लिए अपने जीवन तक बलिदान कर गए।
आप सोच रहे होंगें कि भ्रष्टाचार के मामले तो अनेकों हैं, “आदर्श हाउसिंग” में क्या विशेष है? तो सुनिए, 31 तल की यह इमारत १० साल में सरकार के नेताओं और सेना के आला अफसरों के सुनियोजित प्रयासों का कुपरिणाम है। मुझे तो यह अचम्भा होता है कि अगर इस प्रकार ये लोग देश के लिए काम करते तो भारतवर्ष का कायापलट हो चुका होता। इन काले १० सालों में किस प्रकार भ्रष्टाचारियों का यह स्वप्न साकार हो सका, इसके कुछ तथ्य आपके सामने रखना चाहूँगा :
१. आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की भूमि भारत की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यहाँ निवासीय निर्माण वर्जित होना चाहिए था। भ्रष्टाचारियों को देश की सुरक्षा से क्या लेना देना, उन्हें तो “Prime Location” ही दिखाई दी।
२. किस प्रकार अतिक्रमण को वैध बनाया जाय? करगिल में सैनिक तो शहीद हो गए। क्यों न उनके कन्धों पर भ्रष्टाचार की बन्दूक रख कर चलायी जाए? कहा गया कि इन शहीदों के परिवारों के लिए आदर्श हाउसिंग सोसाइटी बनायीं जाए। और इस आधार पर देश की सुरक्षा को ताक पर रख कर नियमों को अपने अनुकूल बनाया गया। यही नहीं, इसी आधार पर यह अतिविशिष्ट भूमि का मूल्यांकलन भी ऐसी दरों पर किया गया जो दुःखद रूप से हास्यास्पद है।
३. सेना में अपनी दुकान खोले कुछ आला अफसरों ने सरकार में बैठे भ्रष्ट नेताओं से गठबंधन किया और इस प्रस्ताव को स्वीकृति तीव्रता से मिलती चली गयी। जो उपयुक्त नियम इस कलुषित मार्ग में अवरोध उत्पन्न करते, उन्हें मोड़ा-तोडा गया। अधिकारीवर्ग को सुचारु प्रकार से प्रयोग में लाकर स्वीकृतियां तीव्र की गईं।
४. जिन सच्चरित्र अफसरों ने इन कपटियों के विरुद्ध आवाज़ उठाई, उन्हें भीषण परिणाम का सामना करना पड़ा। केंद्र सरकार का भी भरपूर सहयोग रहा। अन्याय के विरुद्ध जिन्होंने आपत्ति जताई उन्हें मनगढंत मामलों में फँसा दिया गया। सेना में भी किसी ने अगर इस काले सच पर प्रकाश डालने का प्रयास किया तो उसे भी प्रताड़ना झेलनी पड़ी। “आदर्श लॉबी” ने मेरे विरुद्ध भी कई दुस्साहस किये, आपको ज्ञात ही होगा।
५. जब इमारत खड़ी हो गयी, तब भ्रष्टाचारियों की योजना का अंतिम पड़ाव आया। फ्लैट्स का आवंटन करगिल के शहीदों के परिवारों को नहीं हुआ। भ्रष्टाचारियों ने खरबूजा आपस में काटा और बाँटा। शहद पर जैसे मक्खियां भिनभिनाती हैं, वैसे ही भ्रष्टाचारी आदर्श हाउसिंग स्कीम की तरफ आकर्षित होते गए। इन सबको खरबूजे का हिस्सा चाहिए था, और इसीलिए इमारत ऊँची होती गयी। भगवान की दया से मामला प्रकाश में आया, नहीं तो भ्रष्टाचारियों की यह लंका विश्व के कई कीर्तिमान ध्वस्त कर जाती। ६ तल के बाद इस इमारत को ३१ तल तक विकसित किया गया।
यह उस कॉंग्रेस सरकार (केंद्र और राज्य) के कार्यकाल में हुआ जहाँ सामान्य रूप से परियोजनाएँ स्वीकृति के अभाव में सालों अटकी रहती थीं। भ्रष्टाचारियों का दुःसाहस अतिआत्मविश्वास से परिपूर्ण था। उन्हें यह भ्रम था कि इस स्तर का अन्याय अनदेखा रह जाएगा। बहरहाल, मामला उछला।
न्यायिक जाँच में महाराष्ट्र के ४ पूर्व मुख्यमंत्री दोषी पाये गए। इसमें सुशील कुमार शिन्दे भी शामिल थे जिन्हे पुरस्कार स्वरुप केंद्र सरकार में गृहमंत्री बनाया गया। यही वे महानुभाव थे जिन्होंने “भगवा आतंकवाद” की भी खोज की थी, और हिन्दू समाज के मुँह पर कालिख पोती थी।
चलिए, सीबीआई जाँच जारी है, आशा करिये कि न्याय होगा।
वह ३१ तल की इमारत अभी भी खड़ी है, और शायद आपके और मेरे जैसे लोगों का उपहास उड़ा रही है जिनके कई विश्वास और आस्था उस नींव में कुचल गए। जनता की सेवक सरकार ने व्यक्तिगत लाभ के लिए देश के शहीदों तक को नहीं छोड़ा। भ्रष्टाचारियों को पुरस्कार और सच्चरित्रों को दण्ड, यह उन दिनों की सरकार की इस देश को देन थी।
इस देन को विनयपूर्वक स्वीकार करिये, और संकल्प लीजिए कि हम देश के इन निकृष्ट दोषियों को लोकतंत्र की शक्ति का मज़ा जीवनपर्यंत चखाते रहेंगे।

जनरल वी के सिंह की फ़ेसबुक वॉल से|