ग्रीष्म ऋतु में जीव जन्तु कैसे रहेंगे?

ग्रीष्म ऋतु, पेड़, पौधे, चिड़िया, गिलहरी, कुत्ते, कबूतर, बिल्ली, गाय

ग्रीष्म ऋतु अपने पूरे उफान पर है, और पशु पक्षी, जीव, जन्तु पूरी तरह से बहाल हो रहे हैं| कटते पेड़, ख़त्म होते पौधे, इन जीवों की त्रासदी और बढ़ा देते हैं|

 

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आप सभी जानते हैं की चिड़िया, गिलहरी, कुत्ते, कबूतर और अभी असंख्य जीव जन्तु ग्रीष्म ऋतु में अपने प्राण त्याग देते हैं, क्यूंकी उनके पास ना रहने, ना खाने ना ही साफ पानी पीने के कोई स्त्रोत होते हैं|

गाय और भी जो पशु ग्रीष्म ऋतु में बाहर जाकर अपना पेट भरतें हैं, वो भी गंदा पानी पीने को विवश हैं|

 

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इस गंदे पानी के कारण भी बहुत सारे जीव जन्तु बीमार हो जाते हैं, ऐसे में मनुष्य का कर्तव्य है की वो इन जीवों को क्षमता अनुसार साफ भोजन, रहने के लिए कहीं जगह, और साफ पानी प्रदान करे| भारत की संस्कृति जीवों से प्रेम करने की संस्कृति है, पेड़ों को भी ग्रीष्म ऋतु में हमें सींचना चाहिए ताकि वो हमें और हमारे लोगों को छाया प्रदान कर पायें|

 

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कुछ चीज़ें तो हम आसानी  से कर सकते हैं जैसे घर के बाहर साफ पानी का बर्तन रखना और साथ में ही आटे या किसी और अन्न से बनी एक रोटी हे रखना अच्छा है| आप गीली हुई बोरी और पुराने पायदान भी घर के बाहर या गाड़ी के नीचे रख सकते हैं|

ग्रीष्म ऋतु में इस बात का ध्यान रखें की पशु जैसे की बिल्ली और कुत्ता अक्सर गर्मी से बचने के लिए गाड़ी के नीचे छाया में विश्राम कर रहे होते हैं, इसीलिए गाड़ी चलते समय ये एक बार सुनिश्चित कर लें की कोई सो तो नहीं रहा है| आप अपने घर के आस पास रह रहे लोगों को भी इस तरह के कार्यक्रम में सम्मिलित कर सकते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा जीवों को सहयता मिल सके|

 

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भारत की संस्कृति हमें सभी जीवों के साथ आदर और सदभाव से रहने की शिक्षा देती है| किसी भी हालत में हम उनके साथ कोई अन्याय ना करें, इसका हमें ध्यान रखना होगा|