चीन को बॉयकॉट करने की मुहिम कहाँ तक पहुँची?

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पाकिस्तानी आतंकवादी अज़हर मसूद को बैन करने की भारत की कोशिश को चीन ने दूसरी बार पलीता लगाया| इस घटना के बाद भारत ने प्रतिक्रिया स्वरूप ड्रैगन से स्वतंत्रता पाने के लिए प्रयासरत उइघुर मुस्लिम नेता डॉल्कन ईसा को भारत आने के लिए वीसा दे दिया था|

डॉल्कन ईसा का वीसा बाद में तकनीकी वजहों से रद्द कर दिया गया (ईसा के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटीस जारी किया हुआ है, इसीलिए उसको वीसा देना भारत के लिए उचित नहीं था) पर चीन को एक संदेश पहुँचा दिया गया की तुम अगर हमारी संवेदना को नहीं समझते, तो भारत भी बाध्य नहीं है तुम्हारी दिक्कत को समझने के लिए| वैसे भी आज कल दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन ने विएतनाम, अमरीका, फिलीपींस और भी देशों को अपनी हरकतों से परेशन किया हुआ है|

ड्रैगन इस पूरे महासागर के हिस्से पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है और इसी कारण अमरीका, वियतनाम और फिलीपींस भारत की उपस्थिति इस भाग में चाहते हैं| इस बात से ड्रैगन सबसे ज़्यादा दुखी है क्यूंकी भारत के यहाँ आने का मतलब उसका साम्राज्य टूटने जैसा है| ना केवल इतना बल्कि भारत की साख यहाँ बहुत गहरी है क्यूंकी इस भाग के ज़्यादातर देश भारत को मित्र के रूप में देखते हैं| इस भाग की बात भी छोड़ दीजिए, ताइवान और हांगकांग जिसपर चीन अपना दावा करता रहता है, उसके लोग भी उससे परेशान हैं और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के कायल हैं| वो ये कहते हैं की अगर भारत में लोकतंत्र रह सकता है उसकी अरब से भी जनसंख्या के बाद, तो चीन में लोकतंत्र क्यूँ नहीं आ सकता?

इन बातो के कारण से ड्रैगन भारत को नीचा दिखाने के प्रयास कर रहा है जिसमें अज़हर मसूद मसला भी शामिल है| वो भारत को ये जताना चाहता है की चीन तो महाशक्ति है पर भारत नहीं|

लेकिन यहीं वो मात खाएगा, क्यूंकी चीन भारत को बिल्कुल समझता ही नहीं| भारत में लोकतंत्र है और भारत की जनता अपना ‘नेता’ चुनती है, सड़क पर आकर देश को बेहतर बनाना के लिए लड़ती है, और देश के लिए आज वो चीन सामान का बॉयकॉट करने को तत्पर है|