वेल्स फार्गो एंटरप्राइज ग्लोबस सर्विसेज ने पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने के लिए चलने, दौड़ने और राइड का आयोजन किया

10के वॉक/रन/राइड आयोजन

वेल्स फार्गो एंटरप्राइज ग्लोबल सर्विसेज  इंडिया टीम के 2,000 से ज्यादा सदस्यों ने देश के तीन प्रमुख शहरों में आयोजित कंपनी के चौथे 10के वॉक/रन/राइड आयोजन में हिस्सा लिया।

यह आयोजन 6 फरवरी को किया गया और इसमें चलने, दौड़ने तथा साइकिल चलाने को बढ़ावा दिया जाता है ताकि यह आने जाने के हरित और स्वास्थ्यकर विकल्प के रूप में काम करे।

हर दिन की कार्रवाई का पर्यावरण पर होने वाले असर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए वेल्स फार्गो के प्रयासों के भाग के रूप में यह वॉक/रन/राइड (चलने, दौड़ने और साइकिल चलाने का) आयोजन बताता है कि कैसे अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करें और एक स्वास्थ्यकर माहौल के प्रति योगदान करें। इससे टीम के सदस्यों को अतिरिक्त स्वास्थ्य और वेलनेस लाभ हासिल करने में सहायता मिलती है । इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है कि वे सक्रिय बनें रहें।

वेल्स फार्गो ईजीएस – इंडिया के प्रबंध निदेशक अवीक मुखर्जी ने कहा, “वेल्स फार्गो एक बेहतर माहौल तैयार करने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम काम और अपने समाज में अंतर लाने की कोशिश करते हैं और इसके लिए पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों के संबंध में जागरूकता रखते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “दि वॉक/रन/राइड 10के हमारी पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का बड़ा उदाहरण है और हम अपनी टीम के सदस्यों को इन आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं।”

वेल्स फार्गो ईजीएस – इंडिया का एक सक्रिय ‘रनर्स एंड राइडर्स’ नेटवर्क है जिसमें 1,200 से ज्यादा टीम के सदस्य हैं जो नियमित रूप से देश भर में भिन्न आयोजनों में भाग लेते हैं। काम पर जाने के लिए साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हैदराबाद और बेंगलुरू में ईजीएस – इंडिया की इकाइयों में साइकिलों के लिए अलग पार्किंग क्षेत्र है।

इस आयोजन में अपने विचार रखते हुए वेल्स फार्गो ईजीएस – इंडिया में कॉरपोरेट ससटेनेबिलिटी की प्रमुख विष्णुप्रिया सक्सेना ने कहा, “ऊर्जा की खपत कम करने के नए तरीके तलाशने, ऊर्जा के अक्षय संसाधनों के उपयोग तथा दूसरों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हमारे स्वयंसेवी भिन्न पहल के जरिए निरंतर रूप से टीम के सदस्यों को हरित जीवन के बारे में शिक्षित करते हैं, मौकों की तलाश करते हैं ताकि मौजूदा प्रक्रियाओं को बेहतर किया जा सके और उन्हें हरित बनाया जा सके। साथ ही ऐसे बाहरी आयोजनों में भागीदारी रहे जिससे पर्यावरण में सहायता मिले।”