पेलेट गन्स से बचने के लिए वीके सिंह ने दिए सुझाव!

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पेलेट गन्स के उपर जहाँ पूरे देश में बड़ी बहस चल रही है, उसमें जनरल वी के सिंह ने अपनी बात रखी है| पेलेट गन्स क्या बिल्कुल खराब है? क्या पेलेट गन्स से बचा जा सकता है? इन सभी बातों पर वी के सिंह ने अपनी बात इस लेख द्वारा रखी:

अगर आपके सम्मुख कोई समस्या है, तो आप उसके मूल का निवारण निकालेंगें या फिर समस्या के लक्षण छिपाने के प्रयास करेंगें?

कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी की मुठभेड़ के बाद पनपे विरोध प्रदर्शन ने समाज को कई मुद्दों पर विचार करने पर विवश किया है। विरोध प्रदर्शन में पुलिस द्वारा पेलेट गन्स का प्रयोग भी ऐसा ही एक मुद्दा है। मेरे अनुसार पेलेट गन्स के प्रयोग पर चर्चा करना असल मुद्दे से विमुख होना है।

क्या पेलेट गन्स अनिवार्य रूप से प्राणघातक हैं?

नहीं।
मगर हमारे बहुत से विश्लेषणकर्ता प्रचार कर रहे हैं कि यह सबसे अधिक प्राणघातक हथियार है। फिर तो टियर गैस भी घातक है क्योंकि पेलेट गन के छर्रों की ही तरह टियर गैस के गोले नज़दीक से गम्भीर चोट पहुँचा सकते हैं।
विकल्पों की तुलना करने से पहले शायद हमें यह सोचना चाहिए कि आप पुलिस की रक्षापंक्ति के इतना समीप पहुँचे कैसे होंगें और आप उस समय किस मुद्रा में होंगें? गौर करियेगा, विरोध में पत्थरबाज़ी होती है, जिसमे प्रदर्शनकारी दूर से पत्थर फेंकते हैं। खैर, इसके बारे में चर्चा बाद में करेंगे कि पत्थर की चोट छर्रे की चोट की तुलना में कैसी लगती होगी। अभी इसके बारे में चर्चा करते हैं कि पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारी पुलिस रक्षापंक्ति के समीप पहुँच कर क्या कर रहे होंगें। शायद यह बताने की आवश्यकता नहीं कि यह तभी संभव है जब पूरी प्रदर्शनकारी भीड़ पुलिस रक्षापंक्ति पर हिंसक हो कर हमला कर देती है, और अंतिम उपाय अपरिहार्य हो जाते हैं।
अगर आप पुलिस के स्थान पर होते और आप पर एक आक्रामक जनसैलाब हमला कर दे तो आप क्या करेंगें ? शायद आत्मरक्षा में आपका प्रत्युत्तर अधिक हानिकारक हो। ऐसा 2008 और 2010 में हो भी चुका है, जिसमे इन कारणों के फलस्वरूप कई प्रदर्शनकारी अपनी जान गँवा बैठे थे।
गंभीरता से समझिये कि इन विरोध प्रदर्शन को कहाँ से समर्थन मिल रहा है और इसके पीछे असल मंशा क्या है। उसके बाद सोचिये कि जब भूकंप, जलप्रलय, या अन्य संकट आता है तो कश्मीरियों के साथ कौन खड़ा रहता है? उस समय आप ही इस सेना और पुलिस को दुवाएँ देते हैं, और अब? उसी सेना के जवानों को मारने का प्रण लेने वाला एक आतंकी जब मार गिराया जाता है, तो आप पुलिस पर पत्थर बरसाते हैं और पूरी घाटी एक युद्धक्षेत्र बन जाता है? बच्चे स्कूल नहीं जाते, बड़े दफ्तर नहीं जाते। खाने पीने की सामग्री बाधित है। ये सब एक आतंकी के मरने पर? क्या यही आपकी प्राथमिकताएँ हैं? क्या इसको उचित सिद्ध किया जा सकता है?
पेलेट गन्स से पहुँची गंभीर चोटों का निवारण मैं बताता हूँ:-
1. एक आतंकी के मरने पर आक्रामक विरोध पर ना जाएँ।
2. जाएँ तो भी पुलिसकर्मियों की जान पर निश्चित खतरा ना बनें।
3. और हाँ, इस विरोध प्रदर्शन में बच्चों और महिलाओं को आगे न करें।
मुझे विश्वास है Pellets आपको दिखना बंद हो जायेंगें।
आपका क्या विचार है?