प्रशांत भूषण की भगवान कृष्ण पर आहत करने वाली बातों के बाद उनके साथ के योगेंद्र यादव ने सबसे पहले ये बयान दिया है:
लड़कियों के खिलाफ गुंडा गर्दी को रोकने के नाम पर आज के युवक-युवती के हर संबध को अपराध बता देना ग़ैर वाजिब है। ये बीजेपी आरएसएस वाले हमारी संस्कृति नहीं समझते, ये नहीं समझते कि महाभारत वाले कृष्ण और रासलीला वाले कृष्ण एक ही हैं। ये नहीं समझते कि करोड़ों देवी-देवताओं में सिर्फ श्री कृष्ण को ही पूर्ण-अवतार क्यों कहा जाता है! भगवान कृष्ण धर्मरक्षक हैं, मार्गदर्शक हैं। प्रेम, संस्कृति और पूर्णता के प्रतीक हैं।
स्वराज अभियान ये जानता है कि रोमियो कोई गुंडा या अपराधी नहीं था। रोमियो-जूलियट एक अमर प्रेम कहानी है, साहित्य का बेहतरीन नमूना है। हमारी संस्कृति में भी लैला-मजनू, हीर-रांझा, सोहनी-महिवाल हैं, जो गुंडे या अपराधी नहीं है। ये वो हैं जिनकी प्रेम कहानियों की कसमें खायी जाती हैं।
प्रशांत भूषण का ट्वीट यूपी के ऐंटी रोमियो स्क्वाड के कारगुज़ारोयों पर है। ये टिप्पणी यूपी में चल रहे रोमियो प्रकरण पर है, जिसमें यहाँ वहाँ धर पकड़ चल रही है, किसी भी महिला पुरुष को साथ देखकर कार्यवाई हो रही है, भाई बहन तक पकड़े जा रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट के जरिये व्यंग करते हुए कहा कि जिस बेतुके आधार पर ऐंटी रोमियो स्क्वाड काम कर रहा है, महिला पुरुष के हर सम्बन्ध पर सवाल कर रहा है, इनका बस चले तो भगवान कृष्ण को भी ये लोग ईवटीज़र बता दें।
ये ट्वीट ऐंटी रोमियो स्क्वाड पर किया गया एक तंज़ है! देश के आम लोगों को व्यंग समझ में आता है। बाकि जो लोग नहीं समझना चाहते, या जिन्हें भ्रम फैलाना है वो अपना काम चालू रखें।
परंतु जब बात ठंडी ना हुई तो योगेंद्र यादव बोले:
आज सुबह से प्रशांत जी के एक ट्वीट पर बहस चल रही है, टीवी चैनलों पर बवाल मचा हुआ है। मैंने जब पहली बार ट्वीट पढ़ा तो मुझे ठीक से समझ नहीं आया। ट्वीट पुराने जमाने के टेलीग्राम जैसा होता है 15-20 शब्दों में सब कुछ कह देना होता है। जब मैंने यह देखा कि यह ट्वीट किसी पिछले ट्वीट का जवाब है तो उसका सही अर्थ समझ आया। बाद में प्रशांत जी के एक और ट्वीट से बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई।
यह ट्वीट भगवान् कृष्ण के बारे में नहीं है। इसका विषय है उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बनाई गई ‘एंटी रोमियो ब्रिगेड’ । प्रशांत जी कह रहे हैं औरतों के साथ छेड़खानी और गुंडागर्दी को रोकने के लिए लड़के और लड़कियों के किसी भी संबंध को अपराधिक बना देना सही नहीं है। यूरोप के कथा साहित्य में रोमियो पगला प्रेमी है लेकिन गुंडा नहीं है। प्रशांत जी कहते हैं कि रोमियो को गुंडा मानने के इस कुतर्क के अनुसार तो ये लोग भगवान् श्रीकृष्ण को इभ टीजर (महिलाओं से छेड़खानी करने वाला) घोषित कर देंगे। प्रशांत जी इस व्यंग्य के माध्यम से इस कुतर्क का खुलासा करना चाह रहे थे। बस इतनी सी बात का बतंगड़ बन गया। बिना मुद्दे की बहस चलाने का मौका मिल गया। मुझे समझ नहीं आता कि इसमें भगवान् श्रीकृष्ण के अवमानना का मामला कहां से बनता है। यूं भी हमारी संस्कृति में देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने, उन्हें उलाहने देने और उनसे चुलह और झगड़ा करने की पुरानी परंपरा है। हिंदू समाज की इस प्रवृत्ति ने हमारे देश को उदारता का संस्कार दिया है। इसे छोड़ कर देवी-देवताओं को छुइ-मुइ बना देने से हिंदू समाज और भारतीय संस्कृति दोनों का नुकसान होगा। पता नहीं हिंदुत्व के इन रक्षकों को यह बात समझ आएगी भी या नहीं।
प्रशांत भूषण ने योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा स्थापित महिला सुरक्षा हेतु गठित किए गये ग्रुप के विरोध में भगवान कृष्ण के बारे में सब कहा था:
Romeo loved just one lady,while Krishna was a legendary Eve teaser.Would Adityanath have the guts to call his vigilantes AntiKrishna squads? https://t.co/IYslpP0ECv
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 2, 2017
प्रशांत भूषण ने श्री कृष्ण को महिलाओं को छेड़ने वाला तक कह डाला था| पर जैसे ही इसका विरोध शुरू हुआ उन्होने कहा की उनका बयान तोड़ा मरोड़ा गया है|
My tweet on Romeo brigade being distorted. My position is: By the logic of Romeo Brigade, even Lord Krishna would look like eve teaser.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 2, 2017
Tho I am not religious, my mother was.I grew up listening to the folklore of lord Krishna in childhood.Painting of Radha-Krishna in our home pic.twitter.com/oqqqDiJz6I
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 2, 2017
प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव साथ में एक पोलिटिकल पार्टी का गठन कर चुके हैं| स्वराज इंडिया नाम की पार्टी हाल ही दिल्ली के मुनिसिपल चुनाव लड़ने में लगे हैं| शायद यही कारण है की योगेंद्र यादव तुरंत प्रशांत भूषण के बयान को समझने के लिए इतनी जल्दी कूद पड़े|
पर यहाँ ये नहीं भूलना चाहिए की ये दोनो पहले आप पार्टी में थे जिसके विशाल ददलानी ने भी जैन गुरु पर बेहद आपत्तिजनक बातें कहीं थीं और बाद में बवाल के बाद ही चुप हुए| प्रशांत भूषण, या विशाल दोनो ही कहते हैं की वो किसी धर्म को नहीं मानते पर केवल हिंदू समाज पर ही ऐसी बातें क्यूँ?