रवीश कुमार के भाई ब्रजेश पांडे के ऊपर आरोपों पर क्या कहते हैं पत्रकार?

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रवीश कुमार होना आसान नहीं है वो भी तब जब उनके भाई के ऊपर यौन शोषण और बलात्कार जैसे संगीन इल्ज़ाम हों!

रवीश कुमार एक पत्रकार और टीवी एंकर के रूप जितने पसंद किए जाते हैं, उतने ही नापसंद भी किए जाते हैं| अब जब उनके भाई ब्रजेश पाण्डेय पर एक नाबालिग दलित लड़की द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है तो ज़ाहिर है पत्रकार बिरादरी के पास भी बहुत कुछ है कहने को।
उल्लेखनीय है की बिहार के एक पूर्व मंत्री की नाबालिग बेटी ने बिहार कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष ब्रजेश पाण्डेय, पूर्व आईएएस के बेटे निखिल प्रियदर्शी और संजीत कुमार शर्मा पर यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाया है।

पत्रकार ओम तनवी के हिसाब से ये भाजपा की खुन्नस है| बतौर उनके शब्दों में:

आलोचक उनके लिए दुश्मन होता है; ‘दुश्मनी’ निकालने का उनके पास एक ही ज़रिया है कि आलोचक को बदनाम करो, उसका चरित्र हनन करो। भले वे विफल रहें, पर जब-तब अपनी गंदी आदत को आज़माते रहते हैं। उनकी आका भाजपा की वैसे ही रवीश से बौखलाहट भरी खुन्नस है।

वहीं पत्रकार संतोष सिंह ने सीधे रवीश कुमार से ही बात की जिसके बाद उन्होने लिखा:

रवीश जी को फोन किया क्या ये सही है उन्होनें बस इतना ही कहा मेरी क्या गलती है जो मेेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है भाई दोषी है तो कोर्ट सजा दे बातचीत के दौरान उदास और निराश थे

पुष्य मित्रा ने रविश के भाई के बहाने उनपर आरोप ना लगाने को कहा|

वहीं पत्रकार स्वामी व्यालोक ने कहा की रवीश कुमार की खामोशी बहुत कुछ बयान कर रही है| उन्होने लिखा:

कई बार ‘ट्रोल्स’ के आरोपों पर आंसूपछाड़ वक्तव्य जारी कर चुके, अपनी मां तक को इसमें घसीट लानेवाले पंडित ‘रवीश कुमार’ और उनके साथी कॉमरेडों की ख़तरनाक और रहस्यमय चुप्पी बहुत कुछ बयां कर रही है…

पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने तो सबसे कड़वे बोल बोल डाले और बोले की:

रवीश कुमार का भाई तो बलात्कारी हो ही नही सकता। ऊपरवाले की फैक्ट्री में कुछ लोगों के चूतड़ों पर नैतिकता का सर्टिफिकेट चिपकाकर। बाकायदा लाल स्याही से ठप्पा मारकर। फिर उन्हें नीचे भेजा जाता है। ऐसे हैं रवीश कुमार। अगर वो अपने भाई के खिलाफ कुछ भी लिख बोल नही रहे हैं तो सीधा मतलब यही है कि भाई दूध का धुला होगा। वो भी अमूल ब्रांड। फुल क्रीम मिल्क का। तुम समझे कि नही? ये पुलिस। ये थाना। ये कानून। वो दलित लड़की। वो महिला पुलिस इंस्पेक्टर जिसने जांच की और इनके भाई का नाम शामिल पाया। सब के सब बिके हुए हैं। सब झूठे हैं। फ्रॉड हैं। ब्रजेश पांडेय से बड़ा बेदाग़ कौन होगा? उन पर रवीश पांडेय, अरे माफ़ कीजियेगा, रवीश कुमार का हाथ है। मेरी नज़र में ये भाजपाइयों या फिर संघ की साज़िश हो सकती है। एस, रवीश कुमार के भाई कांग्रेसी नेता हैं। पिछला चुनाव मोतिहारी से लड़े थे। हार गए। सोनिया जी भी आई थीं। रवीश कुमार के भाई हैं। बड़े भाई। जलवा है। किसी ने राजनीतिक साज़िश कर दी होगी!!

 

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