सलमान ख़ान के पिता और हिन्दी फिल्म जगत के सबसे महानतम लेखकों में से एक सलीम ख़ान ने खुल कर हाजी अली पर उच्च न्यायालय का समर्थन किया है|
वो साफ-साफ शब्दों में बोले की मज़ारों और दरगाह दरअसल क़ब्रें होती हैं जहाँ कोई लिंग के आधार पर भेद भाव नहीं होता क्यूंकी ये इस्लाम में कहीं है ही नहीं|
Mazar & Durga are graves men & women both can visit them as there is no gender
discrimination in Islam. Mullas & Maulvis are complicating an— Salim Khan (@luvsalimkhan) August 27, 2016
उन्होने मुल्ला मौलवियों पर आरोप जड़ा की वो इस्लाम जैसे सुलझे हुए मज़हब को जटिल बना रहे हैं| आगे बोलते हुए उन्होने कहा की जैसा की लोग सोचते हैं दरअसल फ़तवा कोई आदेश नहीं महज़ एक इस्लाम के जानकार की राय होती है|
uncomplicated religion like Islam. Even Fatwa is not a verdict as people think, its an opinion given by an Islamic scholar.
— Salim Khan (@luvsalimkhan) August 27, 2016
सलीम ख़ान ने आगे बोलते हुए कहा की उच्च न्यायालय का हाजी अली पर फ़ैसला बिल्कुल सही है क्यूंकी यही क़ुरान और हदीस कहती है!
उन्होने कहा की अच्छा मुसलमान होने के लिए एक अच्छा इंसान होना ज़रूरी है|
High court judgement on Haji Ali endorses what Hadees and Quran have said. To be a good muslim you have to be a good human being.
— Salim Khan (@luvsalimkhan) August 27, 2016
सलीम ख़ान की बेबाक बातें हो सकता है उन वर्गों को चुभें जो हाजी अली के निर्णय से खुश नहीं है| आने वाले दिनों में पता चल जाएगा की सलीम ख़ान की ये बात कितने लोग मानते हैं|
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