रावण आज के हमारे समाज को कुछ कहना चाहता है| लंकापति रावण की बात जानिए मेरे अंदर के कवि की ज़ुबानी: चेहरे पर जिसके तेज बड़ा पर्वत-सा जो यह अचल खड़ा पहना है मुकुट हीरों से जड़ा वह मेरी राह रोके है खड़ा। मैं उसकी ओर जो देखा करूँ कोशिश तो करूँ न देख सकूँ […]