गुजरात, जून 12, 2016: भारत की महिला राजनेताओं से हम एक बात की अपेक्षा ज़रूर रखते हैं, और वो है संवेदना की| आनंदीबेन पटेल इसी सूची में हैं और इसमें वो जयललिता की टक्कर की ही हैं जिनको सभी प्रेम से अम्मा कहकर बुलाते हैं|
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन राज्य के हरेज प्राइमरी स्कूल के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेने गयी थीं। इसी मौके पर नौवीं क्लास की एक छात्रा, अंबिका गोहेल, ने एक पत्र प्रस्तुति पढ़ी जिसमें एक अजन्मी बच्ची अपनी व्यथा सुनते हुए अपनी माँ से विनती करती है की उसको ना मारा जाए और दुनिया में आने का मौका दिया जाए| पत्र प्रस्तुति पढ़ते हुए, ये बालिका स्वयं भी रो पड़ी और सुनते सुनते आनंदीबेन पटेल भी बेहद भावुक हो गयीं और उनके भी आँसू निकल आए|
फिर उन्होने इस बच्ची को दिलासा भी दिया और उसको गले लगाया| आनंदीबेन पटेल ने माता-पिता से कहा की बेटा-बेटी समान हैं और उनमें भेद-भाव करना ग़लत है|
उनके इस भावुक शब्दों के दौरान सभी एक दम चुप-चाप बैठे थे| जब राज्य की सबसे बड़ी शख्सियत बेटी के हितों के रक्षण के लिए बोलेगी, तो असर तो पड़ेगा ही! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेटी बचाओ और बेटी को पूर्ण अधिकार देने के हिमायतियों में से ही हैं| अपने बाद उन्होने एक महिला, आनंदीबेन पटेल, को ही अपनी गद्दी सौंपी थी|
भारतीय समाज में भी महिला राजनेताओं को बहुत सम्मान प्राप्त है, मायावती, सुषमा स्वराज, सोनिया गाँधी, बृंदा करात, ममता बैनर्जी और भी कई महिलायें हैं जिन्होने शीर्ष को छुआ| इंदिरा गाँधी को तो देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता ही है|
पर इन सबकी इतनी उपलब्धियों के बावजूद, भारत जैसे देश में, जहाँ कन्या पूजन करना एक आम बात है, कन्या भ्रूण हत्या का होना निंदनीय है|
आनंदीबेन पटेल के भावुक शब्द प्रशंसनीय हैं और समाज पर एक गहरी छाप ज़रूर छोड़ेंगे|