इस्कॉन मंदिर, (काजल शाह, बांग्लादेश) के ऊपर ये आरोप लगते हुए की उसकी ध्वनि तेज़ है और नमाज़ में बाधा डाल रही है कुछ लोगों ने धावा बोल दिया| ये हमला 2 सितंबर, 2016 को हुआ|
वो तो शुक्र था की इस्कॉन का मंदिर का दरवाज़ा मज़बूत था इसीलिए मंदिर के अंदर लोग बच गये वरना कुछ भी हो सकता था| इस भीड़ ने ईंट और पत्थर से हमला किया था और वो भी तब जब अंदर बच्चों का चित्रकारी का प्रोग्राम चल रहा था और उसके बाद बच्चे और बड़े हरे कृष्णा हरे कृष्णा का जप कर रहे थे|
पोलीस को रबड़ की बुलेट चला कर वार करने वालों को भगाना पड़ा| पर बात ये है की क्या कारण है की बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं? कारण साफ है और वो है की बांग्लादेश में जगह जगह कट्टरवाद फैल रहा है और ये दूसरा पाकिस्तान बनता जा रहा है| इस्कॉन मंदिर से पहले यहाँ काई पुजारी मारे गये हैं और यहाँ तक की बौद्ध और ईसाइयों को भी मौत के घाट उतरा गया है| तसलीमा नसरीन ने खुल कर कहा है की कट्टरवादी चाहते हैं की हिंदू यहाँ से भाग जायें, पर जिस बांग्लादेश को बनाने में इस समुदाय का इतना बड़ा योगदान रहा है, उसके साथ ये अन्याय वहाँ का समाज कैसे बर्दाश्त कर रहा है? और क्यूँ?
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