भारतीयों का गुस्सा उड़ी में हुए भारतीय सैनिकों के ऊपर आतंकवादी हमले के बाद जो भड़का, वो चीन का दीवाली पर दीवाला निकालने के बाद भी कायम रहने के ही आसार हैं|
भारतीय सैनिकों के ऊपर पाकिस्तानी आतंकियों ने जो कायरतापूर्ण हमला किया और उसको जिस तरह से चीन ने समर्थन दिया, उस पर भारतीय सरकार भले ही चुप रही हो पर भारतीयों ने समझ लिया की सैनिकों और देश की लड़ाई में अब नागरिकों को खुद ही आगे आकर लड़नी होगी| और ये लड़ाई बहुत हद तक
सफल भी हो रही है| जहाँ बड़े बड़े निर्माता निर्देशक पाकिस्तान के कलाकारों की पैरवी में व्यस्त थे, वहीं भारतीयों ने वहाँ जाकर दम निकाला है जो पाकिस्तान को परोक्ष रूप से और चीन को प्रत्यक्ष रूप से आगाह करता है|
भारतीयों के बहिष्कार की वजह से इस साल दिवाली पर चीनी सामानों की बिक्री में 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) द्वारा विभिन्न बड़े शहरों में कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार व्यापारियों ने भी चीनी सामानों को बेचने में कम रुचि दिखाई। आने वाले दिनों में ये बहिष्कार मुहिम और तेज़ होने की उम्मीद है क्यूंकी भारत सरकार इस मसले पर चीन के ग़लत तरीके से दिए बयान पर भी क्रोध में है जिसमें उसने चेताया था की ये मुहिम इसका सबसे ज्यादा नुकसान भारत के व्यापारियों और ग्राहकों का होगा क्योंकि उनके पास कोई समुचित विकल्प नहीं है| इसका जवाब भारतीयों ने इस तरह से दिया की या तो उन्होने चीनी सामान की खरीदारी कम कर दी, या उन्होने खरीदा ही नहीं| अधिकतर भारतीयों ने चीनी सामान की बजे भारतीय सामान को खरीदा है और कई दुकानदार तो ऐसे भी थे जिन्होने विशेषकर बोर्ड लगाए की वो सिर्फ़ भारतीय और मित्र देशों के ही सामान बेचते हैं|
चीन ने अगर अपना भारत विरोधी रुख़ ना बदला तो और रुसवा होगा|
भारत में जो आग लगी है कुछ ऐसी ही आग और देशों में भी चीन की बेहूदा हरकतों की वजह से लगी है| वियतनाम, जापान, अमरीका, फिलीपींस इत्यादि देशों में भी चीन के विरुद्ध रोष तेज़ है और वहाँ भी बहिष्कार की मुहिमें चला रहे हैं आम लोग| मतलब चीन की घेराबंदी के लिए आम जन ही निकल कर सामने आ रहे हैं| चीन को चाहिये की कम से कम अब तो समझदारी दिखाये|