मलेशिया से बेहद खराब खबरें आती रहीं हैं, कौन भूल सकता है वो वीभत्स दृश्य जिसमें गाय के सर के साथ इस्लामिक अतिवादियों ने जुलूस निकाला था और उस कटे सिर को पैरों से रोंदा था और उस पर थूका था? इसके बाद हिंदू रैपिड एक्शन फोर्स (हिंडराफ) ने काफ़ी आवाज़ उठाई की इससे हिंदुओं की आस्था पर आघात हुआ है पर मलेशिया की सरकार चुप रही| ये घटना 2009 में हुआ था वो भी मात्र इस बात के लिए क्यूंकी हिंदू मंदिर के लिए स्थान जहाँ दिया गया था वो जगह मुस्लिम बहुल थी और अतिवादी इसको बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे|
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पर सबसे बड़ी बात ये थी की मलेशिया की पोलीस इस पूरे मामले में मूक दर्शक थी, जिसससे इस्लामिक चरमपंथियों का हौंसला और बढ़ गया| इसके बाद फिर से गाय के सर को काट कर उसकी खाल को उधेड़ कर आर एस एन रॅयार के घर के बाहर फेंका गया, ये बात गौर करने वाली है की आर एस एन रॅयार हिंदू हैं| राजनीतिक विरोध जताने के लिए या मंदिर को मुस्लिम बहुल इलाक़े में ना बनने देने के लिए ये सब ये इस्लामिक चरमपंथी करते हैं| ये खबर भारतीय मीडिया ने कभी कवर नहीं की, इसीलिए ज़्यादातर भारतीयों को ये पता नहीं हैं|
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इसके साथ ही साथ ये भी कइयों को नहीं पता की मलेशिया के जो हिंदू हैं वो दरअसल भारत से ही वहाँ गये हैं| उनका मलेशिया जाना 150-200 साल पहले हुआ था और उन्होने मलेशिया को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए बहुत मेहनत की लेकिन आज इन हिंदुओं को कोई नहीं पूछता और भारत तो खैर इनको भूल ही बैठा है| इनके मानवाधिकार किसी का सिर-दर्द नहीं हैं| ये सभी खबरें द मलेशियन इनसाइडर ने बहुत उठाई थीं पर इस मुहिम का कुछ नहीं बन पाया कारण मात्र इतना ही है की मलेशिया को पता है की इन हिंदुओं की आवाज़ में कहीं और से कोई सुर नहीं मिलाने वाला|
मलेशिया में जबरन धर्म परिवर्तन एक आम बात है, पर ये किसी को नहीं पता होगा की एक हिंदू महिला जिसके पति ने इस्लाम कबूल कर लिया था आज अपने बच्चों के लिए इस इस्लामिक मुल्क़ में न्याय के लिए धक्के खा रही है|
दीपा सुब्रमणियम ने अपने बच्चों की कस्टडी इज़वान अब्दुल्लाह को खो दी थी जिसने दोनो बच्चों का धर्म परिवर्तन करवा दिया| मितरां, 8, आंड शर्मिला, 11 वर्ष की है और अब अब्दुल्लाह दीपा को कह रहा है की उनको इस्लाम अपनाना चाहिए पर दृढ़ दीपा कहती हैं की वो हिंदू हैं और उनके बच्चे भी हिंदू ही रहेंगे | ये हिंदू स्त्री अकेले ही यहाँ लड़ रही है और उसको आशा है की आने वाले वक़्त में मलेशिया एक सहिष्णु मुल्क़ बन कर उभरेगा|
पर ये होगा कैसे? दीपा की उम्मीद अपनी जगह है पर जहाँ पर चरमपंथ इस हद तक हो की सुनवाई के लिए भी दर दर की ठोकर खानी पड़े वहाँ बदलाव कैसे आएगा?
ये सब तो कुछ भी नहीं है, अभी हाल ही में खबर आई है की 7000 हिंदुओं को ‘ग़लती’ सरकारी दस्तावेज़ों में मुसलमान समझा जा बना दिया गया है ऐसी गड़बड़ केवल हिंदुओं के विषय में ही क्यूँ होती हैं? इसका कोई जवाब नहीं होगा क्यूंकी मलेशिया में ये सवाल कोई नहीं पूछता|
ये दिक्कत पूरे प्रायद्वीप मलेशिया में हैं और इसमें फंदे में फँसे हिंदू बेहद ग़रीब हैं| सबसे अजीब बात ये है की अगर किसी हिंदू ने इसको ठीक करवाना भी चाहा तो उसको पहले शरिया कोर्ट से इजाज़त लेनी होगी| जहाँ हिंदू आबादी मात्र 6.3 पर्सेंट हो वहाँ भी इस तरह के हथकंडे क्यूँ अपनाए जा रहे हैं? सेलानगोर हिंदू यूथ ऑर्गनाइज़ेशन के अड्वाइसर अरुण दोरासामी ने साफ साफ शब्दों में बोला की ये 7000 हिंदू किसी हालत में अपना धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहते और ये भी की वो तुरंत ही प्रधानमंत्री से मिलेंगे और उनको बोलेंगे की इस मसले में इंसाफ़ हो|
लेकिन सवाल ये है की मलेशिया के हिंदुओं को वो सपोर्ट क्यूँ नहीं मिल रहा जो उनका मिलना चाहिए? क्यूँ उनकी आवाज़ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नहीं सुनाई देतीं? क्यूँ भारत के हिंदू संगठन के वक़ील या कार्यकर्ता खुद जाकर ज़मीनी जानकारी नहीं जुटते? हिंदू धर्म के अनुयायी अब पूरी दुनिया में फैले हैं पर जहाँ जहाँ वो उत्पीड़ित हैं कम से कम वहाँ तो हिंदू संगठनों को जाना ही चाहिए|
भारतीय मीडिया मलेशिया के हिंदुओं की खबर चलाने की ज़रूरत महसूस नहीं करता, पर वहाँ के हिंदू बेहद मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं| आने वाले वक़्त में हालत और खराब होंगे क्यूंकी यहाँ पर इस्लामिक स्टेट के समर्थक भी हैं| क्या तब भी भारत सरकार और हिंदू संगठन ऐसे ही चुप रहेंगे?
आज के समय में जब कट्टरवाद हर जगह पसार रहा है वहाँ ये चुप्पी घातक साबित होगी क्यूंकी पड़ोस में अगर आग लगी है तो लपटें हमारे घरों में भी आएँगी ही|
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