सिंघम रूप में राजनाथ सिंह, बनाया पाकिस्तान को चिंगम, खरी खोटी सुनाई

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केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित सार्क आंतरिक/गृह मंत्रियों की सातवीं बैठक को संबोधित किया। राजनाथ सिंह के आने से पहले नवाज़ शरीफ ने कश्मीर के मसले पर कहा था की कश्मीर भारत का आंतरिक मसला नहीं है|

पर अब शायद नवाज़ शरीफ ये सोच रहे होंगे की वो दोस्ती का भाव कहाँ गया जो पहले मोदी सरकार ने दिखाया था! राजनाथ सिंह ने जमकर खरी खोटी पाकिस्तान में घुस कर पाकिस्तान को सुनाई है उसका असर दूर तक होगा| राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा:

“दो साल पहले हमारी सरकार के गठन से ही भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ अच्‍छे संबंधों को अपनी सर्वोच्‍च प्राथमिकता देने की बात दोहराई है। हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत हमने इस क्षेत्र के अपने भागीदारों के साथ मिलकर अपने लोगों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने और मिलकर काम करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”

राजनाथ सिंह आगे बोले:

यह महत्‍वपूर्ण है कि दक्षिण एशियाई माहौल में व्‍यापक क्षेत्रीय समृद्धि, जुड़ाव और सहयोग अर्जित करने की सभी आवश्‍यक परिस्थितियां मौजूद हैं, लेकिन इसकी सफलता के लिए हमें अपने प्रयासों को सफल बनाना होगा। हमने बढ़ती हुई चुनौतियों और घटनाओं को देखा है, जिससे हमारे क्षेत्र की शांति और स्थिरता को खतरा पैदा हो गया है। आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है और इससे हमारी शांति को खतरा पैदा हो गया है। दक्षिण एशिया इस त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, जैसा कि हमने अभी हाल ही में पठानकोट, ढाका, काबुल और अन्‍य स्‍थानों पर हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमलों में देखा है। केवल ऐसे आतंकवादी हमलों की कड़े शब्‍दों में भर्त्‍सना करना ही पर्याप्‍त नहीं है। हमें इस त्रासदी को समाप्‍त करने के लिए कड़ा संकल्‍प लेना चाहिए और इस दिशा में गंभीर प्रयास भी किये जाने चाहिए।

इसके आगे बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा:

यह भी जरूरी है कि आतंकवाद को महिमा मंडित न किया जाए और किसी भी देश द्वारा उसे संरक्षण न दिया जाए। एक देश के आतंकवादी किसी दूसरे देश के लिए शहीद या स्‍वतंत्रता लडाकू नहीं हो सकते। मैं न केवल भारत या अन्‍य सार्क सदस्‍यों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए बोल रहा हूं कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा न दिया जाए। जो देश आतंकवाद को या आतंकवादियों को समर्थन प्रोत्‍साहन, संरक्षण, सुरक्षित आश्रय या अन्‍य सहायता उपलब्‍ध कराता है, उसे अलग-थलग किया जाए। न केवल आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कदम उठाए जाने की जरूरत है, बल्कि उन व्‍यक्तियों, संस्‍थानों या देशों के खिलाफ भी ऐसी ही कड़ी कार्रवाई किये जाने की आवश्‍यकता है। इससे ही यह सुनिश्चित होगा कि मानवता के खिलाफ आतंकवाद के गंभीर अपराध को बढ़ावा देने में लगी ताकतों से केवल प्रभावी रूप से ही निपटा जा सकता है।

मतलब राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को बुरहान वानी के मरने के बाद उसके रुदाली बनने पर कटाक्ष पर कटाक्ष जड़ दिए! आगे बोलते हुए राजनाथ सिंह ने मुंबई और पठानकोट हमले पर कहा:

प्रतिबंधित और वांछित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ इच्‍छा शक्ति और अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के अधिकार का सम्‍मान किया जाना चाहिए और उसे लागू भी किया जाना चाहिए। अगर हमें आतंकवाद से छुटकारा पाना है तो हमें इस बात में विश्‍वास करना होगा कि अच्‍छे और बुरे आतंकवादियों में भेद करने के प्रयास कोरा भ्रम फैलाने का प्रयत्‍न मात्र ही है। किसी भी प्रकार के आतंकवाद को किसी भी आधार पर मदद करना न्‍यायसंगत नहीं कहा जा सकता। अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद की किसी भी तरह से मदद करने वालों के खिलाफ तुरंत प्रभावी कार्रवाई किये जाने की जरूरत है, चाहे वो कोई भी हों। मुंबई या पठानकोट जैसे आतंकवादी हमलों के शिकार लोगों को भी तभी न्‍याय मिलेगा। हमें किसी भी प्रकार के आतंकवाद को बर्दाश्‍त नहीं करना चाहिए।”

राजनाथ सिंह ने आगे कहा:

“आतंकवाद के खिलाफ हमारी आम लड़ाई में आतंकवाद के खात्‍मे के लिए सार्क क्षेत्रीय सम्‍मेलन का कार्यान्‍वयन और इसके अतिरिक्‍त प्रोटोकॉल बहुत महत्‍वपूर्ण हो जाते हैं। इसमें प्रभावी प्रयासों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आतंकवादी वारदात करने वाले मुकदमे और दंड से न बच सकें तथा उनका प्रत्‍यर्पण हो और उन्‍हें सजा सुनिश्चित हो सके।”