29, 000 गायों की जान बचाने वाले गभरु भाई नाम के व्यक्ति अपने पीछे 11 वर्ष के दो बच्चों को छोड़ गये हैं| उल्लेखनीय है की गभरु भाई ने कुछ दिन पहले ही ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी| वो गौ माता राष्ट्र माता नाम के आंदोलन से जुड़े हुए थे जो अब भारत के ग्रामीण इलाक़ों में तेज़ी से फैल रहा है| गभरु भाई को भले ही अपने उठाए कदम उचित लगे हों, पर अब इन बच्चों की देखभाल कैसे होगी जो पिता के साये से वंचित हो गये हैं?
भारतीय गौ क्रांति मंच के लोग इनके परिवार को सांत्वना देने पहुचे और साथ ही साथ ये लगातार अपील भी की जा रही आई की कोई भी गौ भक्त ऐसे कदम ना उठायें| इसी ज़्यादा वो कुछ कर भी नहीं सकते क्यूंकी ये आंदोलन एक वर्ग या एक नेता तक सीमित नहीं रह गया है| आख़िर कुछ तो इसमें दम होगा ही जो कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह से लेकर भाजपा के योगी आदित्यनाथ तक यहाँ आकर इस मुद्दे को समझने का प्रयास कर चुके हैं|
इस संगठन ने एक पोस्ट में गौ भक्तों को समझाने की कोशिश की है:
“गौमाता को राष्ट्रमाता बनाने के लिए बलिदान देने वाले महान गौभक्त गभरु भाई परं गौभक्त थे। अपने पीछे वो अपने दो 11 वर्षीय बच्चों को छोड़ गए हैं। 29000 से ज्यादा गोवंश को बचाने वाले थे गभरु भाई|
आज भारतीय गौ क्रांति मंच के प्रतिनिधि पहुँचे गौ बलिदानी के घर। भारतीय गौ क्रांति मंच के राष्ट्रिय प्रवक्ता स्वामी मनुष्य मित्र जी ने गभरु भाई के परिवार को दी सहानुभूति और कहा बेकार नही जायेगा गभरु भाई का बलिदान गौमाता अवश्य बनेगी राष्ट्रमाता। ऐसे वीरों के कारण ही आज गौमाता का वैभव अमर हैं|
ऐसे गभरु भाई को भारतीय गौ क्रांति मंच नमन करता है। उनकी गौमाता के प्रेम और गौमाता को राष्ट्रमाता के लिए बलिदान को प्रणाम करता है। गभरु भाई जैसे वीरो के कारण ही आज भी गौमाता का सम्मान टिका है। हमे गौमाता की रक्षा और सेवा तो करनी है किन्तु अपने गभरु भाई जैसे गौभक्तों को खोना नही है। ऐसे गौभक्तों को स्वयं को हानि नही पहुचानी चाहिए।”
पर क्या गौ भक्त इस बात को समझेंगे?