जाह्नवी को धमकाने और चिढ़ाने पर चुप्पी क्यूँ?

जाह्नवी, कन्हैया, जेएनयू, भारत

15-साल की जाह्नवी बहल लुधियाना की एक गैर सरकारी संगठन रक्षा ज्योति की सदस्य और डीएवी स्कूल की दसवी की छात्रा है|

जाह्नवी ने ये नहीं सोचा होगा की हमारा समाज अभी भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हुआ है| यहाँ स्वतंत्रता केवल उस वर्ग के लिए है जो देश विरोधी नारे लगता है पर उनके लिए नहीं जो इसके  विरोध में है| जाह्नवी बहल को गंदी- गंदी अभद्र टिप्पणियों के साथ-साथ लोग अब धमकाने पर भी तुल चुके हैं, जी हाँ, एक 15 साल की बच्ची जिसको हमें प्रोत्साहित करना चाहिए था, उसको भी हमारे तथाकथित धर्म-निरपेक्षतावादियों ने नहीं छोड़ा|

कन्हैया को भी धमकियाँ मिल रही हैं, ऐसा कई लोग कह रहे हैं, इसीलिए अगर जाह्नवी बहल को दो बातें बोल दी तो क्यूँ आफ़त आई है|

इनसे पूछा जाना चाहिए की 28-वर्षीय कन्हैया जो एक राजनीतिक विचारधारा से संबंध रखता है उसको अगर बहस के लिए चुनौती दे भी दी इस बालिका ने तो पहाड़ क्यूँ टूट गया है इनपर? क्यूँ भारत के टुकड़े टुकड़े वाले बोल तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं पर बहस के लिए आमंत्रण देना नहीं?

और क्यूँ हमरे यहाँ की तथाकथित फेमिनिस्ट इन सब मुद्दों पर चुप हैं? ये कुछ-कुछ उसी तरह है जैसे गौ माँस के त्योहार मानने पर हमारे यहाँ के तथाकथित पशु-प्रेमी मौन व्रत में चले जाते हैं|

दरअसल हमारे यहाँ समाज में कटुता आ गयी है और इसीलिए हम अपनी आने वाली पीढ़ी को त्रास देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं|

जाह्नवी बहल ने नहीं सोचा होगा की उसके साथ ये होगा, पर इस बेटी को ये नहीं भूलना चाहिए की इस समाज में आज भारत के सैनिक की स्तिथि भी ये हो गयी है की उसको कोई भी चलता फिरता नागरिक कटु बातें बोल कर चला जाता है| जी डी बक्शी तो इस बात पर सरे आम अपना दुख ज़ाहिर कर ही चुके हैं, जब हमारा समाज इतने गर्त में जा ही चुका है तो क्यूँ जाह्नवी बहल को भी बख्शा जाए? माफ़ करना जाह्नवी लेकिन हम ऐसे ही हैं|

चित्र साभार: Youtube.com