बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने ट्वीट के ज़रिए ये कहा है की इस्लामिक अतिवादी चाहते हैं की हिंदू बांग्लादेश से चले जायें|
तसलीमा नसरीन ने ये बात बांग्लादेश में हिंदू पुजारी के गला काटने की हुई घटना को लेकर कही जिसकी ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है|
बांग्लादेश सरकार इस्लामिक स्टेट के बांग्लादेश में होने से इनकार करती रही है, पर हाल की अनेको घटनाओं से साफ पता चलता है की बांग्लादेश को तो दरअसल इस्लामिक स्टेट की ज़रूरत है ही नहीं! यहाँ के अपने आतंकी संगठन और समाज में व्याप्त कट्टरपंथी ही हिंदू समुदाय को पीड़ा पहुँचने के लिए काफ़ी है|
ये बात बताना ज़रूरी है की बांग्लादेश में आए दिन हिंदू और बाकी अल्पसंख्यकों को जबरन उनकी ज़मीन जायदाद से बेदखल करने के लिए बल और उत्पीड़न का प्रयोग समाज में खूब होता है|
हिंदू बालिकाओं को कच्ची उम्र में उठा कर जबरन मुसलमान बनाकर उनको किसी भी बड़े उम्र के मुसलमान के साथ जबरन विवाह के किस्से भी आम हैं|
खुद तसलीमा नसरीन अपने देश जाने की हिम्मत नहीं कर सकतीं क्यूंकी उनकी जान भी ख़तरे में हैं|
तसलीमा नसरीन आए दिन अल्पसंख्यकों के लिए बोलती रहती हैं लेकिन उनकी बातों का असर शायद ही कभी बांग्लादेश में हो, जहाँ उनकी किताब लज्जा भी बैन है|
कल हुई हिंदू पुजारी जोगेश्वर रॉय की हत्या ने हर जगह सनसनी फैला दी है पर इससे पहले भी इस तरह के दर्दनाक और भयानक वारदातें हिंदू समुदाय के साथ हुई हैं जिसके उपर कभी अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोई ख़ास नाराज़गी ज़ाहिर नहीं की है|
तसलीमा नसरीन की बात में काफ़ी हद तक सच्चाई है क्यूंकी वो खुद भी इसकी भुक्तभोगी हैं|
शेख हसीना की पार्टी जो की सेक्युलर मानी जाती हैं उनकी आवामी लीग के कुछ तत्व भी इन सबमें लिप्त हैं|
पर सबसे बड़े ताज्जुब की बात तो ये है की हिंदू मानव अधिकारों पर सभी चुप्पी साधे हुए हैं| इस घटना के बाद भी कुछ नहीं होगा, जैसे पहले भी नहीं हुआ था|
क्या हिंदू समुदाय हमेशा आतंकित रहने को मजूर मजबूर ही रहेगा?
कहाँ हैं वो जो बंगाल की संस्कृति और हिंदू आस्था की राजनीति तो करते हैं पर हिंदू मानव अधिकारों पर एक शब्द बोलना ज़रूरी नहीं समझते?