चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा और अकाली दल की जुगलबंदी ने फिर से परचम लहरा दिया है वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर से मुँह की खाई है| पंजाब की राजनीति में कांग्रेस की ये दुर्गति देख कर कांग्रेस आलाकमान को अब नये सिरे से रणनीति बनानी होगी|
पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में नगर निगम चुनावों में भाजपा और अकाली दल ने मिल कर 26 में से 21 सीटों पर जीत कर नरेंद्र मोदी सरकार की कला धन के खिलाफ मुहीम पर भी स्वीकृति की मुहर लगा दी है, ऐसा भी कई विश्लेषक मान रहे हैं| कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने नोटबंदी मामला जम कर उठाया था, पर कोई लाभ नहीं मिला, कांग्रेस के खाते मात्र एक सीट ही आई है|
चंडीगढ़ में भाजपा अकाली दल का परचम
चंडीगढ़ के नगर निगम चुनाव के लिए मतदान 18 दिसंबर को हुआ था जहाँ तकरीबन 57% मतदान हुआ|
एक सीट पर मतदान नहीं हो पाया था|
नोटबंदी के बाद भाजपा चंडीगढ़ नगर निगम से पहले भाजपा ने महाराष्ट्र(851 सीटें जीतीं ), राजस्थान (19 सीटें जीतीं) एवं गुजरात (44 में से 41 सीटें जीतीं)के निकाय चुनावों में कमल खिला कर दिखाया है| तो क्या नोट बंदी पर जनता भाजपा के साथ है?
अकाली दल और भाजपा गठबंधन पिछले 10 साल से सत्ता में है और जल्दी ही वहाँ चुनाव होने है| चंडीगढ़ की ये जीत दोनो दलों का मनोबल बढ़ाने का काम करेगी वहीं विपक्ष को अब कोई और मुद्दा उठाना पड़ेगा|