200 दलित हिंदुओं ने गुजरात में बौद्ध धर्म अपना लिया है| बौद्ध संगठनों ने तीन कार्यक्रम करवाए थे जिसमे 200 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया और 90 हिंदुओं ने नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया है|
बौद्ध संगठन ऐसे कार्यक्रम हर वर्ष विजयदशमी के दिन करते हैं क्यूंकी इसी दिन बीआर अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था 1956 में|
बौद्ध धर्म अपनाने के पीछे दलितों ने भेद भाव को कारण बताया है
उन्होने ऊना में हुई दलितों की पिटाई को भी कारण बताया है| ऊना में तथाकथित गौरक्षकों ने दलित लड़कों की पिटाई की थी जिसका विरोध आरएसएस से लेकर प्रवीण तोगड़िया ने भी किया था| बाद में नरेंद्र मोदी ने भी इस पिटाई के ऊपर कहा था की ऐसे नकली गौरक्षकों से निपटना चाहिए|
दलित पिटाई में किसका हाथ?
जिन लोगों ने ये अत्याचार किया था उन्होने ही इस पूरी घटना का वीडियो बनाया, ताकि बाकियों को बता सकें की गाय की हत्या करने वालों का क्या अंजाम होगा|
गुजरात सीआईडी ने बाद में बताया की उसने जब पूरे वीडियो की जाँच की तो पाया की दलितों पर जो वार लकड़ी से हुए थे वो दरअसल गुजरात पुलिस के डंडे जैसी ही थी| इसके बाद मामला साफ हो गया की ये पूरी की पूरी एक सोची समझी साजिश थी|
आज भले ही दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया हो, पर समाज को सोचना होगा की कैसे पहले इंसाफ़ सुनिश्चित किया जा सकता है| क्या समाज ऐसा कर पाने में सक्षम है? शायद नहीं वरना इस मुद्दे पर इतनी राजनीति ना होती| इस पूरे मुद्दे पर सर्कस जैसे करतब तो हुए पर रोते लोगों का दर्द नहीं समझा गया| जो समाज घावों पर मलहम नहीं लगा सकता वो कब तक एक रहेगा?
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फोटो: इंडियन एक्सप्रेस