किरेन रिजीजू के ऊपर 450 करोड़ घोटाले के आरोप पर कांग्रेस को उसके ही लोगों ने घेरा है|
किरेन रिजीजू के ऊपर आरोप क्यूँ जड़ा गया?
‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ अखबार की एक रिपोर्ट में कहा है की अरुणाचल प्रदेश के 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ | ये राज्य के सबसे बड़े प्रोजेक्टों में शुमार है एवं इसका निर्माण नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है| किरेन रिजीजू के कजिन गोबोई रिजीजू इस प्रोजेक्ट में कांट्रैक्टर हैं|
इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं| यह प्रोजेक्ट अरुणाचल के वेस्ट कामेंग जिले में पड़ता है और इसी संसदीय सीट से किरेन रिजीजू सांसद हैं|
ये मुद्दा उठते ही कांग्रेस को भाजपा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने का बैठे बैठाए मौका मिल गया! पर किरेन रिजीजू अरुणाचल प्रदेश की राजनीति में अपनी साफ छवि के लिए ही जाने जाते हैं| कांग्रेस के उनपर सीधे तौर पर वार का असर उल्टा तब पड़ गया जब स्थानीय पंचायत कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस की बजाय कीरें के साथ खड़ा होना ज़रूरी समझा| उन्होने एक पत्र में लिखा है की वो किरेन रिजीजू के ऊपर कांग्रेस के आरोपों से स्तब्ध हैं:
ये पत्र जारी होते ही किरेन ने एक घायल शेर की तरह लिखा:
मैंने कहा था ना कोंग्रेस ने मुझे निशाना बना के बहुत बड़ी ग़लती की हैं। उन्हें एक सच्चे आदमी की छवि पर चोट पहुँचाने की कोशिश की भारी क़ीमत चुकानी होगी|
उन्होने अँग्रेज़ी में ये भी लिखा की ‘मुझे कोई अपने ग़रीब और ट्राइबल लोगों की मदद करने से नहीं रोक सकता.’
मतलब अभी राजनीति की इस गंगा में किरेन का वार बाकी है, क्या कांग्रेस इससे बच पाएगी?
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