गरीब के लिए याचिका दाखिल करना आसान हुआ

Real Estate (Regulation & Development) Act,2016, Ministry of Housing & Urban Poverty Alleviation, India, M.Venkaiah Naidu , Narendra Modi

गरीब और मध्‍यम  आय वर्ग के लोगों के लिए देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है। उच्‍चतम न्‍यायालय ने मध्‍यम, गरीब आय समूह योजना लागू की है। यह आत्‍म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रूपये प्रति महीने और 7,50,000 रूपये वार्षिक आय से कम आय वाले गरीब लोगों के लिए कानूनी सहायता दी जाएगी।

सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860(2) के अन्‍तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्‍व गवर्निंग बॉडी के सदस्‍यों को दिया गया है। गवर्निंग बॉडी में भारत के प्रधान न्‍यायाधीश संरक्षक होगे। अटार्नी जनरल पदेन उपाध्‍यक्ष होंगे। सोलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया मानद सदस्‍य होंगे और उच्‍चतम न्‍यायालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता सदस्‍य होंगे।

उच्‍चतम न्‍यायालयों के नियमों के अनुसार न्‍यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के जरिये दाखिल की जा सकती है।

गरीब वर्ग के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय की पहल:

सेवा शुल्‍क के रूप में उच्‍चतम न्‍यायालय मध्‍य, गरीब आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी (एससीएमआईजीएलएएस) को 500 रूपये का भुगतान करना होगा। आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यह योजना में संलग्‍न अनुसूची के आधार पर होगी। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता को भेजेगे।

यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इस बात से संतुष्‍ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिए उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी। जहां तक योजना का लाभ प्राप्‍त करने के लिए आवेदक की पात्रता का प्रश्‍न है याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की राय अंतिम राय मानी जाएगी।

योजना के अंतर्गत मध्‍यम , गरीब वर्ग के वैसे लोग जो उच्‍चतम न्‍यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते है। इस योजना के लाभ लेने के इच्‍छुक व्‍यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्‍वीकार करना होगा।

योजना के अनुसार याचिका के संबंध आने वाले विभिन्‍न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्‍वीकृति के स्‍तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि‍ में से 750 रूपये जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्‍क के अतिरिक्‍त होगा। यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यह समझते है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्‍य नहीं है, तो समिति द्वारा लिये गये न्‍यूनतम सेवा शुल्‍क 750 रूपये को घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जाएगी।

यदि योजना के अन्‍तर्गत नियुक्‍त अधिवक्‍ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते हैं तो उन्‍हें आवेदक से प्राप्‍त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्‍मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जुड़े अधिवक्‍ता की पूरी जिम्‍मेदारी होगी। अधिवक्‍ता का नाम पैनल से समाप्‍त कर दिया जाएगा। समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिए याचिका दाखिल करने के काम को सहज बनाने के लिए माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह योजना लागू की है।

 

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