जानते हैं मायावती के ब्राह्मण ‘भाई’ की कहानी?

Mulayam Singh, Mayawati, Guest House, Brahmdutt Dwivedi, मायावती, Dayashankar Singh

मायावती आज देश की बड़ी नेता हैं, और उनके उपर एक अभद्र टिप्पणी करने के बाद भाजपा के दयाशंकर सिंह बुरी तरह फँस चुके हैं|

पर ये सब छोड़िए, जानिए उनके जीवन की एक ऐसी घटना जो आपको भाई-बहन और राखी के बंधन को मानने पर मजबूर कर देगी|

चलिए मैं आपको 2 जून, 1995, में ले चलूँ| अजय बोस की किताब ‘बहनजी’ में उस दिन की पूरी घटना का पूरा कच्चा चिट्ठा है जो चाहे वो खुद इसको पढ़ सकता है|

1993 में सपा और बसपा ने गठबंधन किया और इस गठबंधन की जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली|

पर दोनो पार्टियों के बीच समन्वय नहीं बैठा और 2 जून 1995 में बसपा ने सरकार से अलग होने का विचार किया और समर्थन वापसी की घोषणा हो गयी|

इसी मुलायम सिंह सरकार अल्पमत में आ गयी| सरकार को बचाने के लिए सपा के लोग चिंतन करने लगे पर जब कुछ ना बन पाया तो वो लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुँच गये जहाँ मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी थीं|

इस दौरान सपा के हथियारबंद लोगों ने गंदी गंदी जाती-सूचक गालियों के साथ बसपा के विधयकों और पार्टी के लोगों पर हमला कर दिया|

पर बात यहाँ से शुरू होती है, इस पूरे के पूरे फ़साद में बसपा के लोगों के साथ साथ पोलीस भी असहाय सी हो गयी थी| सपा के लोगों ने मुख्य द्वार तोड़ डाला था और कम से कम 5 बसपा के विधयकों को ज़बरदस्ती घसीटते हुए मुख्यमंत्री के निवास पर ले जाया  गया| कुछ को ज़बरदस्ती मुलायम सिंह सरकार के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर के लिए बोला गया तो कुछ तो इतने डर गये की उन्होने कोरे काग़ज़ों पर ही हस्ताक्षर कर डाले|

अब बताते हैं की मायावती इस पूरे के पूरे  कांड से कैसे बचीं, यहाँ उनके ब्राह्मण भाई उनकी रक्षा के लिए मात्र एक लाठी लेकर सामने आ गये थे | उनका नाम था ब्रह्मदत्त द्विवेदी जो की भाजपा के विधायक थे और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे, तो ज़ाहिर है वो लाठी चलना जानते ही थे| जब गुण्डों ने मायावती के ऊपर जातिसूचक शब्दों के साथ उनकी इज़्ज़त पर हाथ डालने की कोशिश की तो ब्रह्मदत्त द्विवेदी ही अपने गेस्ट हाउस से निकले और अकेले गुंडे से लड़ गये|

ये घटना भारत की राजनीति के माथे का बहुत बड़ा दाग है पर इसके बाद जो मायावती ने अपने भाई के लिए किया वो भी आपको रुला देगा| राजनीति से दूर ये एक ऐसी सच्चाई है जिस पर आज वक़्त की धूल चढ़ गयी है| ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को बचाया पर इसकी वजह से उनको मौत की नींद सोना पड़ा, उनकी सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी गयी फ़रवरी 11, 1997 में|

Mulayam Singh, Mayawati, Guest House, Brahmdutt Dwivedi, मायावती, Dayashankar Singh
बसपा सुप्रिमो का वो भाई, जिसने उनकी जान बचाई थी

मायावती खुद उनके घर पहुँची और ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी के सामने फफक-फफक कर रो पड़ीं| जब ब्रह्मदत्त की पत्नी ने चुनाव लड़ा तो मयवती ने अपील की मेरे लिए अपनी जान देने वाले मेरे भाई की पत्नी को वोट दें| उन्होने उनकी पत्नी के खिलाफ कोई उम्मेदवार खड़ा नहीं किया|

जब 2007 में मायावती चुनाव जीतीं तब समाजवादी पार्टी से विजय सिंह ने बसपा का दामन थामा, पर जैसे ही मायावती को ये बात पता चली तो उन्होने खुद आगे बढ़कर इस बड़े नेता को पार्टी से बाहर फेंक दिया, जानते हैं क्यूँ? क्यूंकी मायावती को ये भनक लग गयी थी की इसी व्यक्ति के कारण उनका राखी भाई जीवित नहीं है|

राजनीति में ये एक अद्भुत घटना थी, जिसको मायावती कभी नहीं भूलीं|