एक ब्राह्मण विरोधी टिप्पणी पर बसपा सुप्रिमो मायावती अपने एक कद्दावर साथी को बसपा से बाहर कर दिया है|
टाइम्स ऑफ इंडिया ने हाल ही में ये खबर दी|
संजय भारती जिनको मायावती ने बाहर का रास्ता दिखाया है ने कहा है की ये उनके खिलाफ कोई चाल है और उन्होने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की अपने फेसबूक पर, जैसा की प्रचार किया जा रहा है| सीधे सीधे तौर पर उन्होने कहा की उनका तो फेसबूक का अकाउंट हैक हो चुका है और किसी विरोधी ने उनको चाल से इसमें फँसाया है, पर मायावती ने जो ठान ली है वो ठान ली है|
उत्तर प्रदेश के चुनाव नज़दीक देखकर बहनजी शायद अभी किसी भी समुदाय की नाराज़गी मोल नहीं लेना चाहती|
इससे पहले मायावती ने ये भी कहा था की मनुस्मृति जलाने से कुछ नहीं होगा, मतलब मायावती आज कल संयम के साथ चल रही हैं|
इसका एक बड़ा कारण ये भी हो सकता है की मुस्लिम वोटेबैंक पूरी तरह से सपा के क़ब्ज़े में हैं और शायद ही वो मायावती के गठजोड़ की तरफ मुड़े| ब्राह्मण समुदाय ज़रूर सतीश चंद्र मिश्रा के नाम से उनके समीप जा सकता है जो की वैश्य समुदाय के साथ कभी भाजपा के साथ ही रहा है|
मतलब साफ है, बहनजी ने अपने दाँव तेज़ी से चलना शुरू कर दिया है और वो अब समाज के रुख़ को अच्छी तरह से भी समझ रही हैं जिसने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया है और देश का सबसे ताक़तवर नेता भी बना दिया है|
जात-पात के टूटते चक्र से मायावती जैसी कद्दावर और ज़मीन से जुड़ी नेता कभी परे नहीं रह सकती| हाल ही में बहनजी ने भाजपा पर भी निशाने साधे हैं और कहा है की कैराना का मसला उसकी विफलता को दर्शाता है|
उत्तर प्रदेश के होने वाले चुनाव में जनता किसको गद्दी सौंपती है ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है, पर मायावती तेज़ी से आगे बढ़ रहीं हैं|