कश्मीर : बडगाम में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के दौरान सेना पर पथराव क्यूँ?

जम्मू-कश्मीर के बडगाम में आज मंगलवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमें दो लोगों की मृत्यु हो गई और 17 घायल हो गये, ऐसी खबरें आ रही हैं|
2 आतंकियों अभी भी छिपे हो सकते हैं ऐसी भी खबर है, जबकि एक आतंकवादी के मरने की खबर भी आई है|

आज सुबह बडगाम के चादूरा के दरबग गांव में आतंकियों के छिपे होने की खबर आई थी, उसके बाद सुरक्षाबलों ने इस इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया था| पर स्थानीय युवक सेना की इस कार्यवाही को रोकने के प्रयास में तबाद तोड़ पत्थर बाज़ी करने लग गये|

पत्थरबाज़ी की आड़ में सेना पर आतंकियों ने भी गोलियाँ बरसाईं और जवाबी फायर में 2 पत्थरबाज़ों की मौत हो गयी| जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने आज कहा की हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा लेकिन उनकी बात का असर होने के आसार कम ही हैं|

पत्थरबाज़ी करने का सबक अभी हाल ही में आतंकवादी हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर ज़ाकिर मूसा ने सिखाया था जिसमें उसने खुले आम कहा था की सुरक्षाबलों पर पत्थरबाज़ी इस्लाम के लिए करो ना की कश्मीरी राष्ट्रवाद के लिए| मूसा ने उन कश्मीरियों को काफ़िर भी कहा था जो पुलिस या भारतीय सेना में है|

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तो क्या अब पत्थरबाज़ खुल कर हरकतें जारी करेंगे जो की मूसा के हिसाब से इस्लाम के नाम पर होनी चाहिए ना की कश्मीर की आज़ादी के नाम पर? ऐसे हालात में ये ज़रूरी हो जाता है की कश्मीर से हिंदू पलायन और विस्थापित हिंदू के कश्मीर में वापिस लौटने की मुख़ालफ़त करने वालों के ऊपर कड़ी नज़र रखी जाए जो की कश्मीर को एक इस्लामिक स्टेट बनाने की ओर ले जाना चाहते हैं|

साथ ही साथ रोहिंगया और बांग्लादेशी मुसलमान जो की जम्मू में पैर पसार रहे हैं उन पर भी कड़ी नज़र रखने का समय आ गया है|

जम्मू में कश्मीरी, रोहिंगया और बांग्लादेशी मुसलमान बसाए जा रहे हैं|  5,743 रोहिंगया होने की संभावना है मात्र जम्मू में ही जिसके खिलाफ वहाँ लगातार प्रदर्शन चल रहे हैं पर कोई इस बात पर बात नहीं करता|

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ये तस्वीर केवल चित्रण हेतु इस्तेमाल की गयी है|