ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा के सिख समाज पर इस्लाम क़बूल करने का दबाव

पाकिस्तान के सूबा ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा के ज़िला हंगू की थल तहसील के सिख समाज पर एक सरकारी अधिकारी की तरफ़ से मुस्लिम बनने के लिये दबाव डाले जाने की ख़बर देश-विदेश की अख़बारों में छाई हुई है।

इस इलाके में ज़्यादातर बंगश पश्तून रहते हैं। कुछ आबादी ओरकजई और अफरीदी पश्तूनों की भी है।

सिख समाज की तरफ़ से हंगू में माइनॉरिटी के डिस्ट्रिक्ट नाज़िम फ़रीद चंद सिंघ ने डिप्टी कमिश्नर शाहिद महमूद के पास शिकायत दर्ज की थी कि थल तहसील के असिस्टेंट कमिश्नर याक़ूब खान उन पर मुस्लिम बनने के लिये दबाव डाल रहे हैं।

मज़हब किसी का ज़ाती मामला है। कोई अपनी मर्ज़ी से इस्लाम क़बूल करता है, तो यह उसका हक़ है। अपनी मर्ज़ी से मुसलमान बनने वाले को उसकी पसन्द मुबारक है। लेकिन किसी को ज़बरदस्ती करके या किसी तरह का प्रेशर डाल कर मुसलमान बनाया जाना ग़लत है।

इस सिलसिले में एक जिरगा (पश्तून पंचायत) बुलाई गई, जिस में स्थानक सिखों के इलावा ज़िला नाज़िम मुफ़्ती उबैदुल्लाह, डिप्टी कमिश्नर शाहिद महमूद, जमीयत-ए-उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना अत्ता उर रहमान भी शामिल हुये।

जिरगा में मुल्क की सेवा के लिये सिख समाज के योगदान की तारीफ़ की गई। डिप्टी कमिश्नर शाहिद महमूद ने असिस्टेंट कमिश्नर याक़ूब खान की बातों के लिये माफ़ी मांगी। ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा के मुख्य सचिव के निर्देशों पर असिस्टेंट कमिश्नर याक़ूब खान को ससपेंड कर दिया गया है। जिरगा की तरफ़ से सिखों की हिमायत पर आने के लिये स्थानक सिख नेता फ़रीद चंद सिंघ ने सभी का धन्यवाद किया।

अफ़ग़ान और बर्मी हिन्दू-सिख कहाँ जाएँ

दोषी अधिकारी को क़ानून के अनुसार सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिये, ताकि आगे से कोई और सरकारी या ग़ैरसरकारी लोग अल्पसंख्यकों को परेशान न कर सकें। ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा की सरकार और जिरगा की अभी तक की कार्रवाई संतोषप्रद है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिये।

सिख इस इलाके में बहुत पुराने वक़्त से रहते आ रहे हैं। पाकिस्तान बनने के बाद इनको यहाँ कभी कोई मज़हबी मामलों में दिक्कत नहीं आई। यहाँ के मुसलमानों ने हमेशा ही सिखों का साथ दिया है। पाकिस्तान तालिबान के ज़ोर होने पर भी इन्हें यहां कोई समस्या नहीं हुई।

ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा में 1947 तक हिन्दूओं और सिखों की आबादी लगभग सात प्रतिशत थी। पाकिस्तान बनने पर उनमें से ज़्यादातर हिन्दुओं और सिखों को भारत आना पड़ा।

मुस्लिम बहुसंख्यक देश में हिन्दू जज

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों पर अत्यचारों की ख़बरें अक्सर ही मीडिया में आती रहती हैं। अल्पसंख्यक समुदायों, ख़ास तौर पर हिन्दू समाज से सम्बंधित लड़किओ के अपहरण, ज़बरदस्ती धर्मपरिवर्तन, और निकाह के अनेकों मामलों सामने आते रहे हैं।

हिन्दुओं पर ऐसे अत्यचारों की घटनाएं ज़्यादातर सूबा सिन्ध में होती हैं। इसके इलावा बलोचिस्तान में भी हिन्दुओं को ऐसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है

ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा के बहुत सारे इलाक़ों में पश्तूनों के परंपरागत सामाजिक क़ानून ‘पश्तूनवली’ को माना जाता है। पश्तूनवली के प्रभाव के चलते पश्तून हिंदू और सिख समाज को समाज की मुख्यधारा में कोई विशेष मुश्किल नहीं आती।

लेकिन ज़िला हंगू की थल तहसील की इस घटना से चिन्ता तो पैदा हुई है, हालाँकि इस सम्बंध में बुलाई गई जिरगा के फ़ैसले से हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि ख़्यबेर पख़्तूनख़्वा में अल्पसंख्यक समुदायों को वैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जैसा उन्हें पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों में करना पड़ता है।

(अमृत पाल सिंघ ‘अमृत’)