1971 के ऊपर लिखी गयी ये कृति जनरल वी के सिंह द्वारा लिखी गयी है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव या छेड़-छाड़ हमारी तरह से नहीं की गयी है:
” 1971 के युद्ध के उपरान्त 90,000 पाकिस्तानियों को बन्दी बनाया गया। बन्दी शिविर में पाकिस्तानी सेना के सूबेदार मेजर के खेमे में बाहर से किसी ने अंदर आने की अनुमति मांगी। पराजय के उपरान्त इस प्रकार का सम्मान प्रायः अनअपेक्षित होता है। सूबेदार मेजर ने जब देखा तो वहाँ कोई और नहीं, विजयी भारतीय सेना के प्रमुख – जनरल सैम मानेकशॉ खड़े थे।
Open letter on 1971 victory and the disappointment of the Bangladesh Hindus
वहाँ पाकिस्तानी बंधकों के लिए की गयी व्यवस्था के बारे में पूछने के बाद सैम बहादुर ने पाकिस्तानी विधवाओं को ढाँढस बँधाया, उनके द्वारा बनाया हुआ भोजन चखा, और सबसे मिले जुले।
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जब वे जाने लगे तो सूबेदार मेजर ने उनसे कुछ कहने की अनुमति मांगी। सूबेदार मेजर ने कहा – “मुझे अब मालूम चला कि भारत युद्ध क्यों जीता। वह इसलिए क्योंकि आप अपने सैनिकों का ख्याल रखते हैं। जिस तरह आप हमें मिलने आये, वैसे तो हमारे खुद के लोग हमसे नहीं मिलते। वो तो अपने आपको नवाबज़ादे समझते हैं। ”
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कुछ ऐसे थे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, जो दुश्मनों को भी अपना कायल बना लेते थे।
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भारत के इस सपूत को उनकी पुण्यतिथि पर मेरा सादर नमन।”
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